All Posts By Samir

आज माँ को घर आना हैं

कल देर से सोया पर, नींद भी मुझको अच्छी आयी, धूप भी आज खूब खिली हैं , दिन भी आज सुहाना हैं सब मिलके बता रहे हैं मुझको, आज माँ को घर आना हैं नाश्ते में जायका अलग, घर भी ज्यादा साफ हुआ सुबह से बालकनी में मेरे  परिंदो का ठिकाना हैं सब मिलके बता…

By Samir
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दिल तू रोज नई ज़ेर-बारी क्यों ले लेता हैं

दिल तू रोज नई ज़ेर-बारी क्यों ले लेता हैं, सदमे नही संभले पुराने, नए क्यों लेता है वो जो खुद नही बदलते अपना सूरते-हाल उनको बदलने की गल्फत तू क्यों लेता हैं कशीदगी ही मिलती हैं काहिल की मदद में बे-हिस हैं जो खुद से, उसकी फिक्र क्यों लेता हैं दख़्ल-ए-मंज़िल नहीं हैं सबके मुक़द्दर…

By Samir
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इम्तेहान-ये-इश्क़

इम्तेहान-ये-इश्क़ में ये बदकिस्मती किसी को न मिले बदनाम हूँ जिस यार से, उसका ही हुस्न मुझे याद नही उनको आज भी याद है हर मुलाकात, हर जज्बात और एक मैं हूँ सिवाय नाम के उनके मुझे कुछ याद नही वो भी महफ़िलो में हंसकर कहते है कह दो की देर हो गयी कब कहां…

By Samir
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प्रवीर की शादी

ज़िन्दगी तेरे एक और पड़ाव को अब देखा मैंने जिसे गोद मे खिलाया, उसे अब दूल्हा देखा मैंने लगता हैं एक लंबा सफर तय हो गया समीर वो शाख़ जो थी छोटी, उसे दरख्त होते देखा मैंने वो जो अपनी माँ के आंचल में छिपता था उसे किसी और के आँचल को धामते देखा मैंने…

By Samir
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मैंने इल्जाम लगाना छोड़ दिया

हाँ ! मैंने इल्जाम लगाना छोड़ दिया छोड़ दिया मैंने सही गलत देखना छोड़ दिया मैंने काला सफ़ेद देखना और छोड़ दिया मैंने वो सब कुछ जो मुझे मुझसे ही तनहा करता था अब मैं सिर्फ उम्मीद करता हूँ और कोशिश करता हूँ और खुश रहता हूँ !

By Samir
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ढूंढ रहा हूँ की तोड़ दूँ

ढूंढ रहा हूँ की तोड़ दूँ हमेशा हमेशा के लिए मिल नहीं रही हैं मुझको हथौड़ा छेनी सब लिए ढूंढ रहा हूँ न जाने कब तेरे मेरे दरमियान खड़ी हो गयी ये दीवार जिसके पार न तेरे जज्बात मुझ तक न मेरे अहसास तुझ तक जाने पाए दिखती नहीं हैं पर महसूस होती हैं ढूंढ…

By Samir
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What I am looking?

We are living in strange times where people are looking for the right person without defining the parameters of right. It’s like ordering a shoe without knowing your foot size, and buying it because you like the colour and brand. Many young people in our times are struggling in relationships because they don’t have defined…

By Samir
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मेरा शहर दिन में भी सोता हैं ! इसे उठाओ

हैं बहुत अजीब सी बात पर मेरा शहर दिन में भी सोता हैं | आप कहेंगे ” क्या शहर भी कहीं सोता हैं ?” , जी हाँ अब तो शहर भी सोने लगे हैं | एक समय था जब लोग ही सोते थे | दिन भर काम करते थे , मेहनत मजदूरी से दिन भर…

By Samir
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अभी देर नहीं हुई

न संभालोगे तो मिट जाओगे ये हिंदोस्ता वाले कोई दास्ताँ भी न होगी दस्तानो में….  ये सत्य हैं की हमारी सामाजिक परिस्थिति बहुत सही नहीं हैं , आंतकवाद , नक्सलवाद से हम और हमारा देश जूझ रहा हैं पर अब भी देर नहीं हुई हैं | जरुरत हैं एक बार फिर से इमानदार होगे आत्म…

By Samir
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पत्थर की दीवार

मैं एक पत्थर की दीवार सा हूँ जो ईंटों के इमारतों के शहर में रह सा गया हूँ , बच सा गया हूँ न ही हर साल मेरी पुताई हो सकती हैं न लोगो की पसंद का कोई रंग मुझपे चढ़ता हैं न अलग अलग रंगो में चमक सकता हूँ एक खुदरंग पत्थर की दीवार…

By Samir
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