Samir N Srivastava

लिखे तो क्या लिखे अपने खातिर
बताये तो बताये क्या अपने अहद में

उसकी रहमतो का ज़िंदा सबूत हूँ मैं
रहता हूँ दाइमन उसकी तलाश में

बशारत को बाँटना हैं इमान मेरा
जीते हैं मोहब्बत के कारोबार में

दीया हैं साथ, सच हैं और हैं ताक़त
चलता हूँ रोज इनके सफर-ए-यार में

मुक्कर्रर हैं जाना मेरा भी एक दिन
जीना हैं तब तक उसके एतबार में