ख़ुदकुशी तो बस एक बहाना था

By Samir
In Poems
August 19, 2022
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ख़ुदकुशी तो बस एक बहाना था
हमे तो बस तेरी महफ़िल से दूर जाना था

भागे बहुत दूर शहर गांव दरिया दरख्त
जहाँ पहुंचे पाया वहां तेरा ठिकाना था

पता था झूठे थे सब तेरे वादे तेरी कसमे
मुझे तो मेरे हिस्से का बस सच निभाना था

जिंदगी ऐसी बिना लिहाफ के हो एक सर्द रात
धुप की उम्मीद तो बस जीने का बहाना था

तोहमते, शिकायते बहुत की, थक गए अब
अब दिल को फिर बच्चे सा बनाना था

किसी की बेवफाई पे हम नहीं रोये समीर
हमे तो अपनी दग़ाबाज़ियों से मुँह छिपाना था