ढूंढ रहा हूँ की तोड़ दूँ

By Samir
In Poems
December 17, 2021
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ढूंढ रहा हूँ की तोड़ दूँ
हमेशा हमेशा के लिए
मिल नहीं रही हैं मुझको
हथौड़ा छेनी सब लिए
ढूंढ रहा हूँ

न जाने कब तेरे मेरे दरमियान
खड़ी हो गयी ये दीवार
जिसके पार न तेरे जज्बात मुझ तक
न मेरे अहसास तुझ तक जाने पाए
दिखती नहीं हैं पर महसूस होती हैं
ढूंढ रहा हूँ की तोड़ दूँ

 

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