किसी ने कहा हैं
किसी को मुक्कमल जहान नहीं मिलता
मुझे भी कभी नहीं मिला
जमीं तो थी लेकिन आसमां नहीं था
हक़ीक़त थी ख्याब नहीं था
आज तो था कल का गुमान नहीं था
फिर तुम मिली
पूरा आसमां था तुम्हारे आँचल में
क्षितिज तक दूर फैला हुआ
सिमटा हुआ तुम्हारी आखों में
विस्तृत, जटिल , व्यापक
पूरा का पूरा आसमां
और तुम मिल गयी
जमीं और आसमां मिल गया
मैं मुक्कमल हो गया
मैं मुक्कमल हो गया