आज फिर बारिश हुई
कोई नाव नहीं बनाई
फुटबाल भी नहीं खेला बारिश में
चाय पकोड़े नहीं ढूंढे
कुछ भी बचकाना नहीं किया
जो मैं करता था
जो करना मुझे पसंद था
जिसके लिए मैं बारिश का इंतज़ार करता था
चेहरे पे बुँदे अच्छी नहीं लगती
पानी में छप छप परेशान करता हैं
गीले कपडे असहज करते हैं
सड़को के गड्डो से कोफ़्त हैं अब
अब मैं बारिश का इंतज़ार नहीं करता
मेरी और बारिश की दोस्ती टूट गयी हैं
अब बहुत से नए दोस्त हैं मेरे जो बारिश को पसंद नहीं करते
उनके लिए मैंने भी बारिश को छोड़ दिया
बचपन की मेरी दोस्ती टूट गयी हैं
मेरी और बारिश की दोस्ती टूट गयी हैं
– समीर