आओ चले थोड़ी सैर कर आये
उस पहाड़ी के उस पार गाँव से पहले
एक चाय की टपरी हैं
चलो तुम्हारी मीठी, मेरी फीकी
चाय पी आये
आओ चले थोड़ी सैर कर आये
उलझ गयी हैं गुस्से में जो बातें
जो मैं न समझा, जो तुम न कह पायी
मन की सारी हलचल सारी कुंठा
चलो कहीं दूर रख आये
आओ चले थोड़ी सैर कर आये