एक बीती हुई सुभग स्मृति
एक अतीत का सुखःद अहसास
अनायास ही आज आ मिला मुझसे
तुमने न जाने कहाँ से ढूंढा मुझे
न जाने कैसे तुम्हे मैं स्मरण आया
निश्चय ऐसा लगा कोई बचपन का गीत
अनायास ही आज आ मिला मुझसे
एक संदूक सी खोल दी तुमने
जिसमे बरसो से बंद था वो जो मैं था
कुछ क्षणों के लिए स्वतंत्र मेरा अस्तित्व
अनायास ही आज आ मिला मुझसे
बचपन पे सम्बन्धो का भार नहीं होता
कोई सीमित प्रारूप या विस्तार नहीं होता
अपेक्षारहित युग्मित सा हमारा एक पल
अनायास ही आज आ मिला मुझसे